1 क्या आपके दरमियान मसीह में हौसलाअफ़्ज़ाई, मुहब्बत की तसल्ली, रूहुल-क़ुद्स की रिफ़ाक़त, नरमदिली और रहमत पाई जाती है? 2 अगर ऐसा है तो मेरी ख़ुशी इसमें पूरी करें कि आप एक जैसी सोच रखें और एक जैसी मुहब्बत रखें, एक जान और एक ज़हन हो जाएँ। 3 ख़ुदग़रज़ न हों, न बातिल इज़्ज़त के पीछे पड़ें बल्कि फ़रोतनी से दूसरों को अपने से बेहतर समझें। 4 हर एक न सिर्फ़ अपना फ़ायदा सोचे बल्कि दूसरों का भी।
5 वही सोच रखें जो मसीह ईसा की भी थी।
6 वह जो अल्लाह की सूरत पर था
7 नहीं, उसने अपने आपको इससे महरूम करके
8 उसने अपने आपको पस्त कर दिया
9 इसलिए अल्लाह ने उसे सबसे आला मक़ाम पर सरफ़राज़ कर दिया
10 ताकि ईसा के इस नाम के सामने हर घुटना झुके,
11 और हर ज़बान तसलीम करे कि ईसा मसीह ख़ुदावंद है।
12 मेरे अज़ीज़ो, जब मैं आपके पास था तो आप हमेशा फ़रमाँबरदार रहे। अब जब मैं ग़ैरहाज़िर हूँ तो इसकी कहीं ज़्यादा ज़रूरत है। चुनाँचे डरते और काँपते हुए जाँफ़िशानी करते रहें ताकि आपकी नजात तकमील तक पहुँचे। 13 क्योंकि ख़ुदा ही आपमें वह कुछ करने की ख़ाहिश पैदा करता है जो उसे पसंद है, और वही आपको यह पूरा करने की ताक़त देता है।
14 सब कुछ बुड़बुड़ाए और बहस-मुबाहसा किए बग़ैर करें 15 ताकि आप बेइलज़ाम और पाक होकर अल्लाह के बेदाग़ फ़रज़ंद साबित हो जाएँ, ऐसे लोग जो एक टेढ़ी और उलटी नसल के दरमियान ही आसमान के सितारों की तरह चमकते-दमकते 16 और ज़िंदगी का कलाम थामे रखते हैं। फिर मैं मसीह की आमद के दिन फ़ख़र कर सकूँगा कि न मैं रायगाँ दौड़ा, न बेफ़ायदा जिद्दो-जहद की।
17 देखें, जो ख़िदमत आप ईमान से सरंजाम दे रहे हैं वह एक ऐसी क़ुरबानी है जो अल्लाह को पसंद है। ख़ुदा करे कि जो दुख मैं उठा रहा हूँ वह मै की उस नज़र की मानिंद हो जो बैतुल-मुक़द्दस में क़ुरबानी पर उंडेली जाती है। अगर मेरी नज़र वाक़ई आपकी क़ुरबानी यों मुकम्मल करे तो मैं ख़ुश हूँ और आपके साथ ख़ुशी मनाता हूँ। 18 आप भी इसी वजह से ख़ुश हों और मेरे साथ ख़ुशी मनाएँ।
19 मुझे उम्मीद है कि अगर ख़ुदावंद ईसा ने चाहा तो मैं जल्द ही तीमुथियुस को आपके पास भेज दूँगा ताकि आपके बारे में ख़बर पाकर मेरा हौसला भी बढ़ जाए। 20 क्योंकि मेरे पास कोई और नहीं जिसकी सोच बिलकुल मेरी जैसी है और जो इतनी ख़ुलूसदिली से आपकी फ़िकर करे। 21 दूसरे सब अपने मफ़ाद की तलाश में रहते हैं और वह कुछ नज़रंदाज़ करते हैं जो ईसा मसीह का काम बढ़ाता है। 22 लेकिन आपको तो मालूम है कि तीमुथियुस क़ाबिले-एतमाद साबित हुआ, कि उसने मेरा बेटा बनकर मेरे साथ अल्लाह की ख़ुशख़बरी फैलाने की ख़िदमत सरंजाम दी। 23 चुनाँचे उम्मीद है कि ज्योंही मुझे पता चले कि मेरा क्या बनेगा मैं उसे आपके पास भेज दूँगा। 24 और मेरा ख़ुदावंद में ईमान है कि मैं भी जल्द ही आपके पास आऊँगा।
25 लेकिन मैंने ज़रूरी समझा कि इतने में इपफ़्रुदितुस को आपके पास वापस भेज दूँ जिसे आपने क़ासिद के तौर पर मेरी ज़रूरियात पूरी करने के लिए मेरे पास भेज दिया था। वह मेरा सच्चा भाई, हमख़िदमत और साथी सिपाही साबित हुआ। 26 मैं उसे इसलिए भेज रहा हूँ क्योंकि वह आप सबका निहायत आरज़ूमंद है और इसलिए बेचैन है कि आपको उसके बीमार होने की ख़बर मिल गई थी। 27 और वह था भी बीमार बल्कि मरने को था। लेकिन अल्लाह ने उस पर रहम किया, और न सिर्फ़ उस पर बल्कि मुझ पर भी ताकि मेरे दुख में इज़ाफ़ा न हो जाए। 28 इसलिए मैं उसे और जल्दी से आपके पास भेजूँगा ताकि आप उसे देखकर ख़ुश हो जाएँ और मेरी परेशानी भी दूर हो जाए। 29 चुनाँचे ख़ुदावंद में बड़ी ख़ुशी से उसका इस्तक़बाल करें। उस जैसे लोगों की इज़्ज़त करें, 30 क्योंकि वह मसीह के काम के बाइस मरने की नौबत तक पहुँच गया था। उसने अपनी जान ख़तरे में डाल दी ताकि आपकी जगह मेरी वह ख़िदमत करे जो आप न कर सके।
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