1 क़ौम के बुज़ुर्ग यरूशलम में आबाद हुए थे। फ़ैसला किया गया कि बाक़ी लोगों के हर दसवें ख़ानदान को मुक़द्दस शहर यरूशलम में बसना है। यह ख़ानदान क़ुरा डालकर मुक़र्रर किए गए। बाक़ी ख़ानदानों को उनकी मक़ामी जगहों में रहने की इजाज़त थी। 2 लेकिन जितने लोग अपनी ख़ुशी से यरूशलम जा बसे उन्हें दूसरों ने मुबारकबाद दी।
3 ज़ैल में सूबे के उन बुज़ुर्गों की फ़हरिस्त है जो यरूशलम में आबाद हुए। (अकसर लोग यहूदाह के बाक़ी शहरों और देहात में अपनी मौरूसी ज़मीन पर बसते थे। इनमें आम इसराईली, इमाम, लावी, रब के घर के ख़िदमतगार और सुलेमान के ख़ादिमों की औलाद शामिल थे। 4 लेकिन यहूदाह और बिनयमीन के चंद एक लोग यरूशलम में जा बसे।)
5 सिलोनी के ख़ानदान का मासियाह बिन बारूक बिन कुलहोज़ा बिन हज़ायाह बिन अदायाह बिन यूयारीब बिन ज़करियाह।
6 फ़ारस के ख़ानदान के 468 असरो-रसूख़ रखनेवाले आदमी अपने ख़ानदानों समेत यरूशलम में रिहाइशपज़ीर थे।
7 बिनयमीन का क़बीला :
8 सल्लू के साथ जब्बी और सल्ली थे। कुल 928 आदमी थे। 9 इन पर योएल बिन ज़िकरी मुक़र्रर था जबकि यहूदाह बिन सनुआह शहर की इंतज़ामिया में दूसरे नंबर पर आता था।
10 यरूशलम में ज़ैल के इमाम रहते थे।
12 इन इमामों के 822 भाई रब के घर में ख़िदमत करते थे।
15 ज़ैल के लावी यरूशलम में रिहाइशपज़ीर थे। समायाह बिन हस्सूब बिन अज़रीक़ाम बिन हसबियाह बिन बुन्नी,
16 नीज़ सब्बती और यूज़बद जो अल्लाह के घर से बाहर के काम पर मुक़र्रर थे,
17 नीज़ शुक्रगुज़ारी का राहनुमा मत्तनियाह बिन मीका बिन ज़बदी बिन आसफ़ था जो दुआ करते वक़्त हम्दो-सना की राहनुमाई करता था,
18 लावियों के कुल 284 मर्द मुक़द्दस शहर में रहते थे।
19 रब के घर के दरबानों के दर्जे-ज़ैल मर्द यरूशलम में रहते थे।
20 क़ौम के बाक़ी लोग, इमाम और लावी यरूशलम से बाहर यहूदाह के दूसरे शहरों में आबाद थे। हर एक अपनी आबाई ज़मीन पर रहता था।
21 रब के घर के ख़िदमतगार ओफ़ल पहाड़ी पर बसते थे। ज़ीहा और जिसफ़ा उन पर मुक़र्रर थे।
22 यरूशलम में रहनेवाले लावियों का निगरान उज़्ज़ी बिन बानी बिन हसबियाह बिन मत्तनियाह बिन मीका था। वह आसफ़ के ख़ानदान का था, उस ख़ानदान का जिसके गुलूकार अल्लाह के घर में ख़िदमत करते थे। 23 बादशाह ने मुक़र्रर किया था कि आसफ़ के ख़ानदान के किन किन आदमियों को किस किस दिन रब के घर में गीत गाने की ख़िदमत करनी है।
24 फ़तहियाह बिन मशेज़बेल इसराईली मामलों में फ़ारस के बादशाह की नुमाइंदगी करता था। वह ज़ारह बिन यहूदाह के ख़ानदान का था।
25 यहूदाह के क़बीले के अफ़राद ज़ैल के शहरों में आबाद थे।
31 बिनयमीन के क़बीले की रिहाइश ज़ैल के मक़ामों में थी।
36 लावी क़बीले के कुछ ख़ानदान जो पहले यहूदाह में रहते थे अब बिनयमीन के क़बायली इलाक़े में आबाद हुए।
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