1 सिदक़ियाह 21 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया 11 साल था। उस की माँ हमूतल बिंत यरमियाह लिबना शहर की रहनेवाली थी। 2 यहूयक़ीम की तरह सिदक़ियाह ऐसा काम करता रहा जो रब को नापसंद था। 3 रब यरूशलम और यहूदाह के बाशिंदों से इतना नाराज़ हुआ कि आख़िर में उसने उन्हें अपने हुज़ूर से ख़ारिज कर दिया।
12 शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र की हुकूमत के 19वें साल में बादशाह का ख़ास अफ़सर नबूज़रादान यरूशलम पहुँचा। वह शाही मुहाफ़िज़ों पर मुक़र्रर था। पाँचवें महीने के सातवें दिन ‡17 अगस्त। उसने आकर 13 रब के घर, शाही महल और यरूशलम के तमाम मकानों को जला दिया। हर बड़ी इमारत भस्म हो गई। 14 उसने अपने तमाम फ़ौजियों से शहर की पूरी फ़सील को भी गिरा दिया। 15 फिर नबूज़रादान ने सबको जिलावतन कर दिया जो यरूशलम में पीछे रह गए थे। वह भी उनमें शामिल थे जो जंग के दौरान ग़द्दारी करके शाहे-बाबल के पीछे लग गए थे। नबूज़रादान बाक़ीमाँदा कारीगर और ग़रीबों में से भी कुछ बाबल ले गया। 16 लेकिन उसने सबसे निचले तबक़े के बाज़ लोगों को मुल्के-यहूदाह में छोड़ दिया ताकि वह अंगूर के बाग़ों और खेतों को सँभालें।
17 बाबल के फ़ौजियों ने रब के घर में जाकर पीतल के दोनों सतूनों, पानी के बासनों को उठानेवाली हथगाड़ियों और समुंदर नामी पीतल के हौज़ को तोड़ दिया और सारा पीतल उठाकर बाबल ले गए। 18 वह रब के घर की ख़िदमत सरंजाम देने के लिए दरकार सामान भी ले गए यानी बालटियाँ, बेलचे, बत्ती कतरने के औज़ार, छिड़काव के कटोरे, प्याले और पीतल का बाक़ी सारा सामान। 19 ख़ालिस सोने और चाँदी के बरतन भी इसमें शामिल थे यानी बासन, जलते हुए कोयले के बरतन, छिड़काव के कटोरे, बालटियाँ, शमादान, प्याले और मै की नज़रें पेश करने के बरतन। शाही मुहाफ़िज़ों का यह अफ़सर सारा सामान उठाकर बाबल ले गया। 20 जब दोनों सतूनों, समुंदर नामी हौज़, हौज़ को उठानेवाले पीतल के बैलों और बासनों को उठानेवाली हथगाड़ियों का पीतल तुड़वाया गया तो वह इतना वज़नी था कि उसे तोला न जा सका। सुलेमान बादशाह ने यह चीज़ें रब के घर के लिए बनवाई थीं। 21 हर सतून की ऊँचाई 27 फ़ुट और घेरा 18 फ़ुट था। दोनों खोखले थे, और उनकी दीवारों की मोटाई 3 इंच थी। 22 उनके बालाई हिस्सों की ऊँचाई साढ़े सात फ़ुट थी, और वह पीतल की जाली और अनारों से सजे हुए थे। 23 96 अनार लगे हुए थे। जाली के इर्दगिर्द कुल 100 अनार लगे थे।
24 शाही मुहाफ़िज़ों के अफ़सर नबूज़रादान ने ज़ैल के क़ैदियों को अलग कर दिया : इमामे-आज़म सिरायाह, उसके बाद आनेवाले इमाम सफ़नियाह, रब के घर के तीन दरबानों, 25 शहर के बचे हुओं में से उस अफ़सर को जो शहर के फ़ौजियों पर मुक़र्रर था, सिदक़ियाह बादशाह के सात मुशीरों, उम्मत की भरती करनेवाले अफ़सर और शहर में मौजूद उसके 60 मर्दों को। 26 नबूज़रादान इन सबको अलग करके सूबा हमात के शहर रिबला ले गया जहाँ शाहे-बाबल था। 27 वहाँ नबूकदनज़्ज़र ने उन्हें सज़ाए-मौत दी।
31 यहूदाह के बादशाह यहूयाकीन की जिलावतनी के 37वें साल में अवील-मरूदक बाबल का बादशाह बना। उसी साल के 12वें महीने के 25वें दिन §31 मार्च। उसने यहूयाकीन को क़ैदख़ाने से आज़ाद कर दिया। 32 उसने उसके साथ नरम बातें करके उसे इज़्ज़त की ऐसी कुरसी पर बिठाया जो बाबल में जिलावतन किए गए बाक़ी बादशाहों की निसबत ज़्यादा अहम थी। 33 यहूयाकीन को क़ैदी के कपड़े उतारने की इजाज़त मिली, और उसे ज़िंदगी-भर बादशाह की मेज़ पर बाक़ायदगी से खाना खाने का शरफ़ हासिल रहा। 34 बादशाह ने मुक़र्रर किया कि यहूयाकीन को उम्र-भर इतना वज़ीफ़ा मिलता रहे कि उस की रोज़मर्रा ज़रूरियात पूरी होती रहें।
<- यरमियाह 51