1 एक दिन सिदक़ियाह बादशाह ने फ़शहूर बिन मलकियाह और मासियाह के बेटे सफ़नियाह इमाम को यरमियाह के पास भेज दिया। उसके पास पहुँचकर उन्होंने कहा, 2 “बाबल का बादशाह नबूकदनज़्ज़र हम पर हमला कर रहा है। शायद जिस तरह रब ने माज़ी में कई बार किया इस दफ़ा भी हमारी मदद करके नबूकदनज़्ज़र को मोजिज़ाना तौर पर यरूशलम को छोड़ने पर मजबूर करे। रब से इसके बारे में दरियाफ़्त करें।”
8 इस क़ौम को बता कि रब फ़रमाता है, ‘मैं तुम्हें अपनी जान को बचाने का मौक़ा फ़राहम करता हूँ। इससे फ़ायदा उठाओ, वरना तुम मरोगे। 9 अगर तुम तलवार, काल या वबा से मरना चाहो तो इस शहर में रहो। लेकिन अगर तुम अपनी जान को बचाना चाहो तो शहर से निकलकर अपने आपको बाबल की मुहासरा करनेवाली फ़ौज के हवाले करो। जो कोई यह करे उस की जान छूट जाएगी।’ *लफ़्ज़ी तरजुमा : वह ग़नीमत के तौर पर अपनी जान को बचाएगा।
10 रब फ़रमाता है, ‘मैंने अटल फ़ैसला किया है कि इस शहर पर मेहरबानी नहीं करूँगा बल्कि इसे नुक़सान पहुँचाऊँगा। इसे शाहे-बाबल के हवाले कर दिया जाएगा जो इसे आग लगाकर तबाह करेगा।’
11 यहूदाह के शाही ख़ानदान से कह, ‘रब का कलाम सुनो! 12 ऐ दाऊद के घराने, रब फ़रमाता है कि हर सुबह लोगों का इनसाफ़ करो। जिसे लूट लिया गया हो उसे ज़ालिम के हाथ से बचाओ! ऐसा न हो कि मेरा ग़ज़ब तुम्हारी शरीर हरकतों की वजह से तुम पर नाज़िल होकर आग की तरह भड़क उठे और कोई न हो जो उसे बुझा सके।
13 रब फ़रमाता है कि ऐ यरूशलम, तू वादी के ऊपर ऊँची चटान पर रहकर फ़ख़र करती है कि कौन हम पर हमला करेगा, कौन हमारे घरों में घुस सकता है? लेकिन अब मैं ख़ुद तुझसे निपट लूँगा। 14 रब फ़रमाता है कि मैं तुम्हारी हरकतों का पूरा अज्र दूँगा। मैं यरूशलम के जंगल में ऐसी आग लगा दूँगा जो इर्दगिर्द सब कुछ भस्म कर देगी’।”
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a लफ़्ज़ी तरजुमा : वह ग़नीमत के तौर पर अपनी जान को बचाएगा।