1 गला फाड़कर आवाज़ दे, रुक रुककर बात न कर! नरसिंगे की-सी बुलंद आवाज़ के साथ मेरी क़ौम को उस की सरकशी सुना, याक़ूब के घराने को उसके गुनाहों की फ़हरिस्त बयान कर। 2 रोज़ बरोज़ वह मेरी मरज़ी दरियाफ़्त करते हैं। हाँ, वह मेरी राहों को जानने के शौक़ीन हैं, उस क़ौम की मानिंद जिसने अपने ख़ुदा के अहकाम को तर्क नहीं किया बल्कि रास्तबाज़ है। चुनाँचे वह मुझसे मुंसिफ़ाना फ़ैसले माँगकर ज़ाहिरन अल्लाह की क़ुरबत से लुत्फ़अंदोज़ होते हैं। 3 वह शिकायत करते हैं, ‘जब हम रोज़ा रखते हैं तो तू तवज्जुह क्यों नहीं देता? जब हम अपने आपको ख़ाकसार बनाकर इंकिसारी का इज़हार करते हैं तो तू ध्यान क्यों नहीं देता?’
6 यह किस तरह हो सकता है? जो रोज़ा मैं पसंद करता हूँ वह फ़रक़ है। हक़ीक़ी रोज़ा यह है कि तू बेइनसाफ़ी की ज़ंजीरों में जकड़े हुओं को रिहा करे, मज़लूमों का जुआ हटाए, कुचले हुओं को आज़ाद करे, हर जुए को तोड़े, 7 भूके को अपने खाने में शरीक करे, बेघर मुसीबतज़दा को पनाह दे, बरहना को कपड़े पहनाए और अपने रिश्तेदार की मदद करने से गुरेज़ न करे!
8 अगर तू ऐसा करे तो तू सुबह की पहली किरणों की तरह चमक उठेगा, और तेरे ज़ख़म जल्द ही भरेंगे। तब तेरी रास्तबाज़ी तेरे आगे आगे चलेगी, और रब का जलाल तेरे पीछे तेरी हिफ़ाज़त करेगा। 9 तब तू फ़रियाद करेगा और रब जवाब देगा। जब तू मदद के लिए पुकारेगा तो वह फ़रमाएगा, ‘मैं हाज़िर हूँ।’
13 सबत के दिन अपने पैरों को काम करने से रोक। मेरे मुक़द्दस दिन के दौरान कारोबार मत करना बल्कि उसे ‘राहतबख़्श’ और ‘मुअज़्ज़ज़’ क़रार दे। उस दिन न मामूल की राहों पर चल, न अपने कारोबार चला, न ख़ाली गप्पें हाँक। यों तू सबत का सहीह एहतराम करेगा। 14 तब रब तेरी राहत का मंबा होगा, और मैं तुझे रथ में बिठाकर मुल्क की बुलंदियों पर से गुज़रने दूँगा, तुझे तेरे बाप याक़ूब की मीरास में से सेर करूँगा।” रब के मुँह ने यह फ़रमाया है।
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