1 रोया की वादी यरूशलम के बारे में रब का फ़रमान :
4 इसलिए मैंने कहा, “अपना मुँह मुझसे फेरकर मुझे ज़ार ज़ार रोने दो। मुझे तसल्ली देने पर बज़िद न रहो जबकि मेरी क़ौम तबाह हो रही है।” 5 क्योंकि क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज रोया की वादी पर हौलनाक दिन लाया है। हर तरफ़ घबराहट, कुचले हुए लोग और अबतरी नज़र आती है। शहर की चारदीवारी टूटने लगी है, पहाड़ों में चीख़ें गूँज रही हैं।
6 ऐलाम के फ़ौजी अपने तरकश उठाकर रथों, आदमियों और घोड़ों के साथ आ गए हैं। क़ीर के मर्द भी अपनी ढालें ग़िलाफ़ से निकालकर तुझसे लड़ने के लिए निकल आए हैं। 7 यरूशलम के गिर्दो-नवाह की बेहतरीन वादियाँ दुश्मन के रथों से भर गई हैं, और उसके घुड़सवार शहर के दरवाज़े पर हमला करने के लिए उसके सामने खड़े हो गए हैं। 8 जो भी बंदोबस्त यहूदाह ने अपने तहफ़्फ़ुज़ के लिए कर लिया था वह ख़त्म हो गया है।
12 उस वक़्त क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज ने हुक्म दिया कि गिर्याओ-ज़ारी करो, अपने बालों को मुँडवाकर टाट का लिबास पहन लो। 13 लेकिन क्या हुआ? तमाम लोग शादियाना बजाकर ख़ुशी मना रहे हैं। हर तरफ़ बैलों और भेड़-बकरियों को ज़बह किया जा रहा है। सब गोश्त और मै से लुत्फ़अंदोज़ होकर कह रहे हैं, “आओ, हम खाएँ पिएँ, क्योंकि कल तो मर ही जाना है।”
14 लेकिन रब्बुल-अफ़वाज ने मेरी मौजूदगी में ही ज़ाहिर किया है कि यक़ीनन यह क़ुसूर तुम्हारे मरते दम तक मुआफ़ नहीं किया जाएगा। *लफ़्ज़ी तरजुमा : यक़ीनन इस क़ुसूर का कफ़्फ़ारा तुम्हारे मरते दम तक नहीं दिया जाएगा। यह क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।
15 क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “उस निगरान शिबनाह के पास चल जो महल का इंचार्ज है। उसे पैग़ाम पहुँचा दे, 16 तू यहाँ क्या कर रहा है? किसने तुझे यहाँ अपने लिए मक़बरा तराशने की इजाज़त दी? तू कौन है कि बुलंदी पर अपने लिए मज़ार बनवाए, चटान में आरामगाह खुदवाए? 17 ऐ मर्द, ख़बरदार! रब तुझे ज़ोर से दूर दूर तक फेंकनेवाला है। वह तुझे पकड़ लेगा 18 और मरोड़ मरोड़कर गेंद की तरह एक वसी मुल्क में फेंक देगा। वहीं तू मरेगा, वहीं तेरे शानदार रथ पड़े रहेंगे। क्योंकि तू अपने मालिक के घराने के लिए शर्म का बाइस बना है। 19 मैं तुझे बरतरफ़ करूँगा, और तू ज़बरदस्ती अपने ओहदे और मंसब से फ़ारिग़ कर दिया जाएगा।
20 उस दिन मैं अपने ख़ादिम इलियाक़ीम बिन ख़िलक़ियाह को बुलाऊँगा। 21 मैं उसे तेरा ही सरकारी लिबास और कमरबंद पहनाकर तेरा इख़्तियार उसे दे दूँगा। उस वक़्त वह यहूदाह के घराने और यरूशलम के तमाम बाशिंदों का बाप बनेगा। 22 मैं उसके कंधे पर दाऊद के घराने की चाबी रख दूँगा। जो दरवाज़ा वह खोलेगा उसे कोई बंद नहीं कर सकेगा, और जो दरवाज़ा वह बंद करेगा उसे कोई खोल नहीं सकेगा। 23 वह खूँटी की मानिंद होगा जिसको मैं ज़ोर से ठोंककर मज़बूत दीवार में लगा दूँगा। उससे उसके बाप के घराने को शराफ़त का ऊँचा मक़ाम हासिल होगा।
24 लेकिन फिर आबाई घराने का पूरा बोझ उसके साथ लटक जाएगा। तमाम औलाद और रिश्तेदार, तमाम छोटे बरतन प्यालों से लेकर मरतबानों तक उसके साथ लटक जाएंगे। 25 रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि उस वक़्त मज़बूत दीवार में लगी यह खूँटी निकल जाएगी। उसे तोड़ा जाएगा तो वह गिर जाएगी, और उसके साथ लटका सारा सामान टूट जाएगा।” यह रब का फ़रमान है।
<- यसायाह 21यसायाह 23 ->-
a लफ़्ज़ी तरजुमा : यक़ीनन इस क़ुसूर का कफ़्फ़ारा तुम्हारे मरते दम तक नहीं दिया जाएगा।