1 एक दिन दो नबी बनाम हज्जी और ज़करियाह बिन इद्दू उठकर इसराईल के ख़ुदा के नाम में जो उनके ऊपर था यहूदाह और यरूशलम के यहूदियों के सामने नबुव्वत करने लगे। 2 उनके हौसलाअफ़्ज़ा अलफ़ाज़ सुनकर ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल और यशुअ बिन यूसदक़ ने फ़ैसला किया कि हम दुबारा यरूशलम में अल्लाह के घर की तामीर शुरू करेंगे। दोनों नबी इसमें उनके साथ थे और उनकी मदद करते रहे।
3 लेकिन ज्योंही काम शुरू हुआ तो दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नर तत्तनी और शतर-बोज़नी अपने हमख़िदमत अफ़सरों समेत यरूशलम पहुँचे। उन्होंने पूछा, “किसने आपको यह घर बनाने और इसका ढाँचा तकमील तक पहुँचाने की इजाज़त दी? 4 इस काम के लिए ज़िम्मादार आदमियों के नाम हमें बताएँ!” 5 लेकिन उनका ख़ुदा यहूदाह के बुज़ुर्गों की निगरानी कर रहा था, इसलिए उन्हें रोका न गया। क्योंकि लोगों ने सोचा कि पहले दारा बादशाह को इत्तला दी जाए। जब तक वह फ़ैसला न करे उस वक़्त तक काम रोका न जाए।
6 फिर दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नर तत्तनी, शतर-बोज़नी और उनके हमख़िदमत अफ़सरों ने दारा बादशाह को ज़ैल का ख़त भेजा,
7 “दारा बादशाह को दिल की गहराइयों से सलाम कहते हैं! 8 शहनशाह को इल्म हो कि सूबा यहूदाह में जाकर हमने देखा कि वहाँ अज़ीम ख़ुदा का घर बनाया जा रहा है। उसके लिए बड़े तराशे हुए पत्थर इस्तेमाल हो रहे हैं और दीवारों में शहतीर लगाए जा रहे हैं। लोग बड़ी जाँफ़िशानी से काम कर रहे हैं, और मकान उनकी मेहनत के बाइस तेज़ी से बन रहा है। 9 हमने बुज़ुर्गों से पूछा, ‘किसने आपको यह घर बनाने और इसका ढाँचा तकमील तक पहुँचाने की इजाज़त दी है?’ 10 हमने उनके नाम भी मालूम किए ताकि लिखकर आपको भेज सकें। 11 उन्होंने हमें जवाब दिया,
17 चुनाँचे अगर शहनशाह को मंज़ूर हो तो वह तफ़तीश करें कि क्या बाबल के शाही दफ़्तर में कोई ऐसी दस्तावेज़ मौजूद है जो इस बात की तसदीक़ करे कि ख़ोरस बादशाह ने यरूशलम में रब के घर को अज़ सरे-नौ तामीर करने का हुक्म दिया। गुज़ारिश है कि शहनशाह हमें अपना फ़ैसला पहुँचा दें।”
<- अज़रा 4अज़रा 6 ->