1 रब मुझसे हमकलाम हुआ, 2 “ऐ आदमज़ाद, अपने हमवतनों को यह पैग़ाम पहुँचा दे,
6 अब फ़र्ज़ करो कि पहरेदार दुश्मन को देखे लेकिन न नरसिंगा बजाए, न लोगों को आगाह करे। अगर नतीजे में कोई क़त्ल हो जाए तो वह अपने गुनाहों के बाइस ही मर जाएगा। लेकिन मैं पहरेदार को उस की मौत का ज़िम्मादार ठहराऊँगा।’
7 ऐ आदमज़ाद, मैंने तुझे इसराईली क़ौम की पहरादारी करने की ज़िम्मादारी दी है। इसलिए लाज़िम है कि जब भी मैं कुछ फ़रमाऊँ तो तू मेरी सुनकर इसराईलियों को मेरी तरफ़ से आगाह करे। 8 अगर मैं किसी बेदीन को बताना चाहूँ, ‘तू यक़ीनन मरेगा’ तो लाज़िम है कि तू उसे यह सुनाकर उस की ग़लत राह से आगाह करे। अगर तू ऐसा न करे तो गो बेदीन अपने गुनाहों के बाइस ही मरेगा ताहम मैं तुझे ही उस की मौत का ज़िम्मादार ठहराऊँगा। 9 लेकिन अगर तू उसे उस की ग़लत राह से आगाह करे और वह न माने तो वह अपने गुनाहों के बाइस मरेगा, लेकिन तूने अपनी जान को बचाया होगा।
10 ऐ आदमज़ाद, इसराईलियों को बता, तुम आहें भर भरकर कहते हो, ‘हाय हम अपने जरायम और गुनाहों के बाइस गल-सड़कर तबाह हो रहे हैं। हम किस तरह जीते रहें?’ 11 लेकिन रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है, ‘मेरी हयात की क़सम, मैं बेदीन की मौत से ख़ुश नहीं होता बल्कि मैं चाहता हूँ कि वह अपनी ग़लत राह से हटकर ज़िंदा रहे। चुनाँचे तौबा करो! अपनी ग़लत राहों को तर्क करके वापस आओ! ऐ इसराईली क़ौम, क्या ज़रूरत है कि तू मर जाए?’
12 ऐ आदमज़ाद, अपने हमवतनों को बता,
17 तेरे हमवतन एतराज़ करते हैं कि रब का सुलूक सहीह नहीं है जबकि उनका अपना सुलूक सहीह नहीं है। 18 अगर रास्तबाज़ अपना रास्त चाल-चलन छोड़कर बदी करने लगे तो उसे सज़ाए-मौत दी जाएगी। 19 इसके मुक़ाबले में अगर बेदीन अपना बेदीन चाल-चलन छोड़कर वह कुछ करने लगे जो मुंसिफ़ाना और रास्त है तो वह इस बिना पर ज़िंदा रहेगा।
20 ऐ इसराईलियो, तुम दावा करते हो कि रब का सुलूक सहीह नहीं है। लेकिन ऐसा हरगिज़ नहीं है! तुम्हारी अदालत करते वक़्त मैं हर एक के चाल-चलन का ख़याल करूँगा।”
21 यहूयाकीन बादशाह की जिलावतनी के 12वें साल में एक आदमी मेरे पास आया। 10वें महीने का पाँचवाँ दिन *8 जनवरी। था। यह आदमी यरूशलम से भाग निकला था। उसने कहा, “यरूशलम दुश्मन के क़ब्ज़े में आ गया है!”
22 एक दिन पहले रब का हाथ शाम के वक़्त मुझ पर आया था, और अगले दिन जब यह आदमी सुबह के वक़्त पहुँचा तो रब ने मेरे मुँह को खोल दिया, और मैं दुबारा बोल सका।
23 रब मुझसे हमकलाम हुआ, 24 “ऐ आदमज़ाद, मुल्के-इसराईल के खंडरात में रहनेवाले लोग कह रहे हैं, ‘गो इब्राहीम सिर्फ़ एक आदमी था तो भी उसने पूरे मुल्क पर क़ब्ज़ा किया। उस की निसबत हम बहुत हैं, इसलिए लाज़िम है कि हमें यह मुल्क हासिल हो।’ 25 उन्हें बता,
27 उन्हें बता, ‘रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि मेरी हयात की क़सम, जो इसराईल के खंडरात में रहते हैं वह तलवार की ज़द में आकर हलाक हो जाएंगे, जो बचकर खुले मैदान में जा बसे हैं उन्हें मैं दरिंदों को खिला दूँगा, और जिन्होंने पहाड़ी क़िलों और ग़ारों में पनाह ली है वह मोहलक बीमारियों का शिकार हो जाएंगे। 28 मैं मुल्क को वीरानो-सुनसान कर दूँगा। जिस ताक़त पर वह फ़ख़र करते हैं वह जाती रहेगी। इसराईल का पहाड़ी इलाक़ा भी इतना तबाह हो जाएगा कि लोग उसमें से गुज़रने से गुरेज़ करेंगे। 29 फिर जब मैं मुल्क को उनकी मकरूह हरकतों के बाइस वीरानो-सुनसान कर दूँगा तब वह जान लेंगे कि मैं ही रब हूँ।’
30 ऐ आदमज़ाद, तेरे हमवतन अपने घरों की दीवारों और दरवाज़ों के पास खड़े होकर तेरा ज़िक्र करते हैं। वह कहते हैं, ‘आओ, हम नबी के पास जाकर वह पैग़ाम सुनें जो रब की तरफ़ से आया है।’ 31 लेकिन गो इन लोगों के हुजूम आकर तेरे पैग़ामात सुनने के लिए तेरे सामने बैठ जाते हैं तो भी वह उन पर अमल नहीं करते। क्योंकि उनकी ज़बान पर इश्क़ के ही गीत हैं। उन्हीं पर वह अमल करते हैं, जबकि उनका दिल नारवा नफ़ा के पीछे पड़ा रहता है। 32 असल में वह तेरी बातें यों सुनते हैं जिस तरह किसी गुलूकार के गीत जो महारत से साज़ बजाकर सुरीली आवाज़ से इश्क़ के गीत गाए। गो वह तेरी बातें सुनकर ख़ुश हो जाते हैं तो भी उन पर अमल नहीं करते। 33 लेकिन यक़ीनन एक दिन आनेवाला है जब वह जान लेंगे कि हमारे दरमियान नबी रहा है।”
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a 8 जनवरी।