1 रब मुझसे हमकलाम हुआ, 2 “ऐ आदमज़ाद, सूर के हुक्मरान को बता,
6 चुनाँचे रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि चूँकि तू अपने आपको ख़ुदा-सा समझता है 7 इसलिए मैं सबसे ज़ालिम क़ौमों को तेरे ख़िलाफ़ भेजूँगा जो अपनी तलवारों को तेरी ख़ूबसूरती और हिकमत के ख़िलाफ़ खींचकर तेरी शानो-शौकत की बेहुरमती करेंगी। 8 वह तुझे पाताल में उतारेंगी। समुंदर के बीच में ही तुझे मार डाला जाएगा। 9 क्या तू उस वक़्त अपने क़ातिलों से कहेगा कि मैं ख़ुदा हूँ? हरगिज़ नहीं! अपने क़ातिलों के हाथ में होते वक़्त तू ख़ुदा नहीं बल्कि इनसान साबित होगा। 10 तू अजनबियों के हाथों नामख़तून की-सी वफ़ात पाएगा। यह मेरा, रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है’।”
11 रब मज़ीद मुझसे हमकलाम हुआ, 12 “ऐ आदमज़ाद, सूर के बादशाह पर मातमी गीत गाकर उससे कह,
14 मैंने तुझे अल्लाह के मुक़द्दस पहाड़ पर खड़ा किया था। वहाँ तू करूबी फ़रिश्ते की हैसियत से अपने पर फैलाए पहरादारी करता था, वहाँ तू जलते हुए पत्थरों के दरमियान ही घुमता-फिरता रहा।
15 जिस दिन तुझे ख़लक़ किया गया तेरा चाल-चलन बेइलज़ाम था, लेकिन अब तुझमें नाइनसाफ़ी पाई गई है। 16 तिजारत में कामयाबी की वजह से तू ज़ुल्मो-तशद्दुद से भर गया और गुनाह करने लगा।
20 रब मुझसे हमकलाम हुआ, 21 “ऐ आदमज़ाद, सैदा की तरफ़ रुख़ करके उसके ख़िलाफ़ नबुव्वत कर! 22 रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ सैदा, मैं तुझसे निपट लूँगा। तेरे दरमियान ही मैं अपना जलाल दिखाऊँगा। तब वह जान लेंगे कि मैं ही रब हूँ, क्योंकि मैं शहर की अदालत करके अपना मुक़द्दस किरदार उन पर ज़ाहिर करूँगा। 23 मैं उसमें मोहलक वबा फैलाकर उस की गलियों में ख़ून बहा दूँगा। उसे चारों तरफ़ से तलवार घेर लेगी तो उसमें फँसे हुए लोग हलाक हो जाएंगे। तब वह जान लेंगे कि मैं ही रब हूँ।
24 इस वक़्त इसराईल के पड़ोसी उसे हक़ीर जानते हैं। अब तक वह उसे चुभनेवाले ख़ार और ज़ख़मी करनेवाले काँटे हैं। लेकिन आइंदा ऐसा नहीं होगा। तब वह जान लेंगे कि मैं रब क़ादिरे-मुतलक़ हूँ। 25 क्योंकि रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि दीगर अक़वाम के देखते देखते मैं ज़ाहिर करूँगा कि मैं मुक़द्दस हूँ। क्योंकि मैं इसराईलियों को उन अक़वाम में से निकालकर जमा करूँगा जहाँ मैंने उन्हें मुंतशिर कर दिया था। तब वह अपने वतन में जा बसेंगे, उस मुल्क में जो मैंने अपने ख़ादिम याक़ूब को दिया था। 26 वह हिफ़ाज़त से उसमें रहकर घर तामीर करेंगे और अंगूर के बाग़ लगाएँगे। लेकिन जो पड़ोसी उन्हें हक़ीर जानते थे उनकी मैं अदालत करूँगा। तब वह जान लेंगे कि मैं रब उनका ख़ुदा हूँ।”
<- हिज़क़ियेल 27हिज़क़ियेल 29 ->