1 पाँच दिन के बाद इमामे-आज़म हननियाह, कुछ यहूदी बुज़ुर्ग और एक वकील बनाम तिरतुल्लुस क़ैसरिया आए ताकि गवर्नर के सामने पौलुस पर अपना इलज़ाम पेश करें। 2 पौलुस को बुलाया गया तो तिरतुल्लुस ने फ़ेलिक्स को यहूदियों का इलज़ाम पेश किया,
10 गवर्नर ने इशारा किया कि पौलुस अपनी बात पेश करे। उसने जवाब में कहा,
17 कई सालों के बाद मैं यरूशलम वापस आया। मेरे पास क़ौम के ग़रीबों के लिए ख़ैरात थी और मैं बैतुल-मुक़द्दस में क़ुरबानियाँ भी पेश करना चाहता था। 18 मुझ पर इलज़ाम लगानेवालों ने मुझे बैतुल-मुक़द्दस में देखा जब मैं तहारत की रुसूमात अदा कर रहा था। उस वक़्त न कोई हुजूम था, न फ़साद। 19 लेकिन सूबा आसिया के कुछ यहूदी वहाँ थे। अगर उन्हें मेरे ख़िलाफ़ कोई शिकायत है तो उन्हें ही यहाँ हाज़िर होकर मुझ पर इलज़ाम लगाना चाहिए। 20 या यह लोग ख़ुद बताएँ कि जब मैं यहूदी अदालते-आलिया के सामने खड़ा था तो उन्होंने मेरा क्या जुर्म मालूम किया। 21 सिर्फ़ यह एक जुर्म हो सकता है कि मैंने उस वक़्त उनके हुज़ूर पुकारकर यह बात बयान की, ‘आज मुझ पर इसलिए इलज़ाम लगाया जा रहा है कि मैं ईमान रखता हूँ कि मुरदे जी उठेंगे’।”
22 फ़ेलिक्स ने जो ईसा की राह से ख़ूब वाक़िफ़ था मुक़दमा मुलतवी कर दिया। उसने कहा, “जब कमाँडर लूसियास आएँगे फिर मैं फ़ैसला दूँगा।” 23 उसने पौलुस पर मुक़र्रर अफ़सर *सौ सिपाहियों पर मुक़र्रर अफ़सर। को हुक्म दिया कि वह उस की पहरादारी तो करे लेकिन उसे कुछ सहूलियात भी दे और उसके अज़ीज़ों को उससे मिलने और उस की ख़िदमत करने से न रोके।
24 कुछ दिनों के बाद फ़ेलिक्स अपनी अहलिया द्रूसिल्ला के हमराह वापस आया। द्रूसिल्ला यहूदी थी। पौलुस को बुलाकर उन्होंने ईसा पर ईमान के बारे में उस की बातें सुनीं। 25 लेकिन जब रास्तबाज़ी, ज़ब्ते-नफ़स और आनेवाली अदालत के मज़ामीन छिड़ गए तो फ़ेलिक्स ने घबराकर उस की बात काटी, “फ़िलहाल काफ़ी है। अब इजाज़त है, जब मेरे पास वक़्त होगा मैं आपको बुला लूँगा।” 26 साथ साथ वह यह उम्मीद भी रखता था कि पौलुस रिश्वत देगा, इसलिए वह कई बार उसे बुलाकर उससे बात करता रहा।
27 दो साल गुज़र गए तो फ़ेलिक्स की जगह पुरकियुस फ़ेस्तुस आ गया। ताहम उसने पौलुस को क़ैदख़ाने में छोड़ दिया, क्योंकि वह यहूदियों के साथ रिआयत बरतना चाहता था।
<- आमाल 23आमाल 25 ->-
a सौ सिपाहियों पर मुक़र्रर अफ़सर।