1 रब के घर और शाही महल को तामीर करने में 20 साल लग गए थे। 2 इसके बाद सुलेमान ने वह आबादियाँ नए सिरे से तामीर कीं जो हीराम ने उसे दे दी थीं। इनमें उसने इसराईलियों को बसा दिया।
3 एक फ़ौजी मुहिम के दौरान उसने हमात-ज़ोबाह पर हमला करके उस पर क़ब्ज़ा कर लिया। 4 इसके अलावा उसने हमात के इलाक़े में गोदाम के शहर बनाए। रेगिस्तान के शहर तदमूर में उसने बहुत-सा तामीरी काम कराया 5-6 और इसी तरह बालाई और नशेबी बैत-हौरून और बालात में भी। इन शहरों के लिए उसने फ़सील और कुंडेवाले दरवाज़े बनवाए। सुलेमान ने अपने गोदामों के लिए और अपने रथों और घोड़ों को रखने के लिए भी शहर बनवाए।
11 फ़िरौन की बेटी यरूशलम के पुराने हिस्से बनाम ‘दाऊद का शहर’ से उस महल में मुंतक़िल हुई जो सुलेमान ने उसके लिए तामीर किया था, क्योंकि सुलेमान ने कहा, “लाज़िम है कि मेरी अहलिया इसराईल के बादशाह दाऊद के महल में न रहे। चूँकि रब का संदूक़ यहाँ से गुज़रा है, इसलिए यह जगह मुक़द्दस है।”
12 उस वक़्त से सुलेमान रब को रब के घर के बड़े हाल के सामने की क़ुरबानगाह पर भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश करता था। 13 जो कुछ भी मूसा ने रोज़ाना की क़ुरबानियों के मुताल्लिक़ फ़रमाया था उसके मुताबिक़ बादशाह क़ुरबानियाँ चढ़ाता था। इनमें वह क़ुरबानियाँ भी शामिल थीं जो सबत के दिन, नए चाँद की ईद पर और साल की तीन बड़ी ईदों पर यानी फ़सह की ईद, हफ़तों की ईद और झोंपड़ियों की ईद पर पेश की जाती थीं। 14 सुलेमान ने इमामों के मुख़्तलिफ़ गुरोहों को वह ज़िम्मादारियाँ सौंपीं जो उसके बाप दाऊद ने मुक़र्रर की थीं। लावियों की ज़िम्मादारियाँ भी मुक़र्रर की गईं। उनकी एक ज़िम्मादारी रब की हम्दो-सना करने में परस्तारों की राहनुमाई करनी थी। नीज़, उन्हें रोज़ाना की ज़रूरियात के मुताबिक़ इमामों की मदद करनी थी। रब के घर के दरवाज़ों की पहरादारी भी लावियों की एक ख़िदमत थी। हर दरवाज़े पर एक अलग गुरोह की ड्यूटी लगाई गई। यह भी मर्दे-ख़ुदा दाऊद की हिदायात के मुताबिक़ हुआ। 15 जो भी हुक्म दाऊद ने इमामों, लावियों और ख़ज़ानों के मुताल्लिक़ दिया था वह उन्होंने पूरा किया।
16 यों सुलेमान के तमाम मनसूबे रब के घर की बुनियाद रखने से लेकर उस की तकमील तक पूरे हुए।
17 बाद में सुलेमान अस्यून-जाबर और ऐलात गया। यह शहर अदोम के साहिल पर वाक़े थे। 18 वहाँ हीराम बादशाह ने अपने जहाज़ और तजरबाकार मल्लाह भेजे ताकि वह सुलेमान के आदमियों के साथ मिलकर जहाज़ों को चलाएँ। उन्होंने ओफ़ीर तक सफ़र किया और वहाँ से सुलेमान के लिए तक़रीबन 15,000 किलोग्राम सोना लेकर आए।
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