1 यों समुएल का कलाम सैला से निकलकर पूरे इसराईल में फैल गया।
3 फ़ौज लशकरगाह में वापस आई तो इसराईल के बुज़ुर्ग सोचने लगे, “रब ने फ़िलिस्तियों को हम पर क्यों फ़तह पाने दी? आओ, हम रब के अहद का संदूक़ सैला से ले आएँ ताकि वह हमारे साथ चलकर हमें दुश्मन से बचाए।”
4 चुनाँचे अहद का संदूक़ जिसके ऊपर रब्बुल-अफ़वाज करूबी फ़रिश्तों के दरमियान तख़्तनशीन है सैला से लाया गया। एली के दो बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास भी साथ आए। 5 जब अहद का संदूक़ लशकरगाह में पहुँचा तो इसराईली निहायत ख़ुश होकर बुलंद आवाज़ से नारे लगाने लगे। इतना शोर मच गया कि ज़मीन हिल गई।
6 यह सुनकर फ़िलिस्ती चौंक उठे और एक दूसरे से पूछने लगे, “यह कैसा शोर है जो इसराईली लशकरगाह में हो रहा है?” जब पता चला कि रब के अहद का संदूक़ इसराईली लशकरगाह में आ गया है 7 तो वह घबराकर चिल्लाए, “उनका देवता उनकी लशकरगाह में आ गया है। हाय, हमारा सत्यानास हो गया है! पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ है। 8 हम पर अफ़सोस! कौन हमें इन ताक़तवर देवताओं से बचाएगा? क्योंकि इन्हीं ने रेगिस्तान में मिसरियों को हर क़िस्म की बला से मारकर हलाक कर दिया था। 9 भाइयो, अब दिलेर हो और मरदानगी दिखाओ, वरना हम उसी तरह इबरानियों के ग़ुलाम बन जाएंगे जैसे वह अब तक हमारे ग़ुलाम थे। मरदानगी दिखाकर लड़ो!” 10 आपस में ऐसी बातें करते करते फ़िलिस्ती लड़ने के लिए निकले और इसराईल को शिकस्त दी। हर तरफ़ क़त्ले-आम नज़र आया, और 30,000 प्यादे इसराईली काम आए। बाक़ी सब फ़रार होकर अपने अपने घरों में छुप गए। 11 एली के दो बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास भी उसी दिन हलाक हुए, और अल्लाह के अहद का संदूक़ फ़िलिस्तियों के क़ब्ज़े में आ गया।
12 उसी दिन बिनयमीन के क़बीले का एक आदमी मैदाने-जंग से भागकर सैला पहुँच गया। उसके कपड़े फटे हुए थे और सर पर ख़ाक थी। 13-15 एली सड़क के किनारे अपनी कुरसी पर बैठा था। वह अब अंधा हो चुका था, क्योंकि उस की उम्र 98 साल थी। वह बड़ी बेचैनी से रास्ते पर ध्यान दे रहा था ताकि जंग की कोई ताज़ा ख़बर मिल जाए, क्योंकि उसे इस बात की बड़ी फ़िकर थी कि अल्लाह का संदूक़ लशकरगाह में है।
18 अहद के संदूक़ का ज़िक्र सुनते ही एली अपनी कुरसी पर से पीछे की तरफ़ गिर गया। चूँकि वह बूढ़ा और भारी-भरकम था इसलिए उस की गरदन टूट गई और वह वहीं मक़दिस के दरवाज़े के पास ही मर गया। वह 40 साल इसराईल का क़ाज़ी रहा था।
19 उस वक़्त एली की बहू यानी फ़ीनहास की बीवी का पाँव भारी था और बच्चा पैदा होनेवाला था। जब उसने सुना कि अल्लाह का संदूक़ दुश्मन के हाथ में आ गया है और कि सुसर और शौहर दोनों मर गए हैं तो उसे इतना सख़्त सदमा पहुँचा कि वह शदीद दर्दे-ज़ह में मुब्तला हो गई। वह झुक गई, और बच्चा पैदा हुआ। 20 उस की जान निकलने लगी तो दाइयों ने उस की हौसलाअफ़्ज़ाई करके कहा, “डरो मत! तुम्हारे बेटा पैदा हुआ है।” लेकिन माँ ने न जवाब दिया, न बात पर ध्यान दिया। 21-22 क्योंकि वह अल्लाह के संदूक़ के छिन जाने और सुसर और शौहर की मौत के बाइस निहायत बेदिल हो गई थी। उसने कहा, “बेटे का नाम यकबोद यानी ‘जलाल कहाँ रहा’ है, क्योंकि अल्लाह के संदूक़ के छिन जाने से अल्लाह का जलाल इसराईल से जाता रहा है।”
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