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 1 ऐ ख़ुदावन्द हमारे रब तेरा नाम तमाम ज़मीन पर कैसा बुज़ु़र्ग़ है! 
तूने अपना जलाल आसमान पर क़ाईम किया है। 
 2 तूने अपने मुखालिफ़ों की वजह से बच्चों और शीरख़्वारों के मुँह से कु़दरत को क़ाईम किया, 
ताकि तू दुश्मन और इन्तक़ाम लेने वाले को ख़ामोश कर दे। 
 3 जब मैं तेरे आसमान पर जो तेरी दस्तकारी है, 
और चाँद और सितारों पर जिनको तूने मुक़र्रर किया, ग़ौर करता हूँ। 
 4 तो फिर इंसान क्या है कि तू उसे याद रख्खे, 
और बनी आदम क्या है कि तू उसकी ख़बर ले? 
 5 क्यूँकि तूने उसे ख़ुदा से कुछ ही कमतर बनाया है, 
और जलाल और शौकत से उसे ताजदार करता है। 
 6 तूने उसे अपनी दस्तकारी पर इख़्तियार बख़्शा है; 
तूने सब कुछ उसके क़दमों के नीचे कर दिया है। 
 7 सब भेड़ — बकरियाँ, 
गाय — बैल बल्कि सब जंगली जानवर 
 8 हवा के परिन्दे और समन्दर की 
और जो कुछ समन्दरों के रास्ते में चलता फिरता है। 
 9 ऐ ख़ुदावन्द, हमारे रब्ब! 
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