57
 1 मुझ पर रहम कर, ऐ ख़ुदा! मुझ पर रहम कर, 
क्यूँकि मेरी जान तेरी पनाह लेती है। 
मैं तेरे परों के साये में पनाह लूँगा, 
जब तक यह आफ़तें गुज़र न जाएँ। 
 2 मैं ख़ुदा ता'ला से फ़रियाद करूँगा; 
ख़ुदा से, जो मेरे लिए सब कुछ करता है। 
 3 वह मेरी नजात के लिए आसमान से भेजेगा; 
जब वह जो मुझे निगलना चाहता है, 
मलामत करता हो। सिलाह ख़ुदा अपनी शफ़क़त 
और सच्चाई को भेजेगा। 
 4 मेरी जान बबरों के बीच है, 
मैं आतिश मिज़ाज लोगों में पड़ा हूँ 
या'नी ऐसे लोगों में जिनके दाँत बर्छियाँऔर तीर हैं, 
जिनकी ज़बान तेज़ तलवार है। 
 5 ऐ ख़ुदा! तू आसमान पर सरफ़राज़ हो, 
तेरा जलाल सारी ज़मीन पर हो! 
 6 उन्होंने मेरे पाँव के लिए जाल लगाया है; 
मेरी जान 'आजिज़ आ गई। 
उन्होंने मेरे आगे गढ़ा खोदा, 
वह ख़ुद उसमें गिर पड़े। सिलाह 
 7 मेरा दिल क़ाईम है, ऐ ख़ुदा! मेरा दिल क़ाईम है; 
मैं गाऊँगा बल्कि मैं मदह सराई करूँगा। 
 8 ऐ मेरी शौकत, बेदार हो! ऐ बर्बत और सितार जागो! 
मैं ख़ुद सुबह सवेरे जाग उठूँगा। 
 9 ऐ ख़ुदावन्द! मैं लोगों में तेरा शुक्र करूँगा। 
मैं उम्मतों में तेरी मदहसराई करूँगा। 
 10 क्यूँकि तेरी शफ़क़त आसमान के, 
और तेरी सच्चाई फ़लाक के बराबर बुलन्द है। 
 11 ऐ ख़ुदा! तू आसमान पर सरफ़राज़ हो! 
 Languages
Languages