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 1 क़ौमें किस लिए ग़ुस्से में है 
और लोग क्यूँ बेकार ख़याल बाँधते हैं 
 2 ख़ुदावन्द और उसके मसीह के ख़िलाफ़ ज़मीन के बादशाह एक हो कर, 
और हाकिम आपस में मशवरा करके कहते हैं, 
 3 “आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालें, 
और उनकी रस्सियाँ अपने ऊपर से उतार फेंके।” 
 4 वह जो आसमान पर तख़्त नशीन है हँसेगा, 
ख़ुदावन्द उनका मज़ाक़ उड़ाएगा। 
 5 तब वह अपने ग़ज़ब में उनसे कलाम करेगा, 
और अपने ग़ज़बनाक ग़ुस्से में उनको परेशान कर देगा, 
 6 “मैं तो अपने बादशाह को, 
अपने पाक पहाड़ सिय्यून पर बिठा चुका हूँ।” 
 7 मैं उस फ़रमान को बयान करूँगा:ख़ुदावन्द ने मुझ से कहा, 
“तू मेरा बेटा है। आज तू मुझ से पैदा हुआ। 
 8 मुझ से माँग, और मैं क़ौमों को तेरी मीरास के लिए, 
और ज़मीन के आख़िरी हिस्से तेरी मिल्कियत के लिए तुझे बख़्शूँगा। 
 9 तू उनको लोहे के 'असा से तोड़ेगा, 
कुम्हार के बर्तन की तरह तू उनको चकनाचूर कर डालेगा।” 
 10 इसलिए अब ऐ बादशाहो, 
अक़्लमंद बनो; ऐ ज़मीन की 'अदालत करने वालो, तरबियत पाओ। 
 11 डरते हुए ख़ुदावन्द की इबादत करो, 
काँपते हुए ख़ुशी मनाओ। 
 12 बेटे को चूमो, ऐसा न हो कि वह क़हर में आए, 
और तुम रास्ते में हलाक हो जाओ, 
क्यूँकि उसका ग़ज़ब जल्द भड़कने को है। 
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