118
 1 ख़ुदावन्द का शुक्र करो, क्यूँकि वह भला है; 
और उसकी शफ़क़त हमेशा की है! 
 2 इस्राईल अब कहे, 
उसकी शफ़क़त हमेशा की है। 
 3 हारून का घराना अब कहे, 
उसकी शफ़क़त हमेशा की है। 
 4 ख़ुदावन्द से डरने वाले अब कहें, 
उसकी शफ़क़त हमेशा की है। 
 5 मैंने मुसीबत में ख़ुदावन्द से दुआ की, 
ख़ुदावन्द ने मुझे जवाब दिया और कुशादगी बख़्शी। 
 6 ख़ुदावन्द मेरी तरफ़ है, मैं नहीं डरने का; 
इंसान मेरा क्या कर सकता है? 
 7 ख़ुदावन्द मेरी तरफ़ मेरे मददगारों में है, 
इसलिए मैं अपने 'अदावत रखने वालों को देख लूँगा। 
 8 ख़ुदावन्द पर भरोसा करना, 
इंसान पर भरोसा रखने से बेहतर है। 
 9 ख़ुदावन्द पर भरोसा करना, 
उमरा पर भरोसा रखने से बेहतर है। 
 10 सब क़ौमों ने मुझे घेर लिया; 
मैं ख़ुदावन्द के नाम से उनको काट डालूँगा! 
 11 उन्होंने मुझे घेर लिया, बेशक घेर लिया; 
मैं ख़ुदावन्द के नाम से उनको काट डालूँगा! 
 12 उन्होंने शहद की मक्खियों की तरह मुझे घेर लिया, 
वह काँटों की आग की तरह बुझ गए; 
मैं ख़ुदावन्द के नाम से उनको काट डालूँगा। 
 13 तूने मुझे ज़ोर से धकेल दिया कि गिर पडू लेकिन ख़ुदावन्द ने मेरी मदद की। 
 14 ख़ुदावन्द मेरी ताक़त और मेरी हम्द है; 
वही मेरी नजात हुआ। 
 15 सादिकों के खे़मों में ख़ुशी और नजात की रागनी है, 
ख़ुदावन्द का दहना हाथ दिलावरी करता है। 
 16 ख़ुदावन्द का दहना हाथ बुलन्द हुआ है, 
ख़ुदावन्द का दहना हाथ दिलावरी करता है। 
 17 मैं मरूँगा नहीं बल्कि जिन्दा रहूँगा, 
और ख़ुदावन्द के कामों का बयान करूँगा। 
 18 ख़ुदावन्द ने मुझे सख़्त तम्बीह तो की, 
लेकिन मौत के हवाले नहीं किया। 
 19 सदाक़त के फाटकों को मेरे लिए खोल दो, 
मैं उनसे दाख़िल होकर ख़ुदावन्द का शुक्र करूँगा। 
 20 ख़ुदावन्द का फाटक यही है, 
सादिक इससे दाख़िल होंगे। 
 21 मैं तेरा शुक्र करूँगा क्यूँकि तूने मुझे जवाब दिया, 
और ख़ुद मेरी नजात बना है। 
 22 जिस पत्थर की मे'मारों ने रद्द किया, 
वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया। 
 23 यह ख़ुदावन्द की तरफ़ से हुआ, 
और हमारी नज़र में 'अजीब है। 
 24 यह वही दिन है जिसे ख़ुदावन्द ने मुक़र्रर किया, 
हम इसमें ख़ुश होंगे और ख़ुशी मनाएँगे। 
 25 आह! ऐ ख़ुदावन्द बचा ले! 
आह! ऐ ख़ुदावन्द खु़शहाली बख़्श! 
 26 मुबारक है वह जो ख़ुदावन्द के नाम से आता है! 
हम ने तुम को ख़ुदावन्द के घर से दुआ दी है। 
 27 यहोवा ही ख़ुदा है, और उसी ने हम को नूर बख़्शा है। 
कु़र्बानी को मज़बह के सींगों से रस्सियों से बाँधो! 
 28 तू मेरा ख़ुदा है, मैं तेरा शुक्र करूँगा; 
तू मेरा ख़ुदा है, मैं तेरी तम्जीद करूँगा। 
 29 ख़ुदावन्द का शुक्र करो, क्यूँकि वह भला है; 
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