7 जब लश्करों के सब सरदारों ने और उनके आदमियों ने जो मैदान में रह गए थे, सुना के शाह — ए — बाबुल ने जिदलियाह — बिन — अख़ीक़ाम को मुल्क का हाकिम मुक़र्रर किया है; और मर्दों और 'औरतों और बच्चों को, और ममलुकत के ग़रीबों को जो ग़ुलाम होकर बाबुल को न गए थे, उसके सुपुर्द किया है; 8 तो इस्माईल — बिन — नतनियाह और यूहनान और यूनतन बनी क़रिह और सिरायाह — बिन — तनहुमत और बनी 'ईफ़ी नतुफ़ाती और यज़नियाह — बिन — मा'काती अपने आदमियों के साथ जिदलियाह के पास मिस्फ़ाह में आए। 9 और जिद्लियाह — बिन — अख़ीक़ाम — बिन — साफ़न ने उन से और उन के आदमियों से क़सम खाकर कहा, तुम कसदियों की ख़िदमत गुज़ारी से न डरो। अपने मुल्क में बसो, और शाह — ए — बाबुल की ख़िदमत करो तो तुम्हारा भला होगा। 10 देखो, मैं तो इसलिए मिस्फ़ाह में रहता हूँ कि जो कसदी हमारे पास आएँ, उनकी ख़िदमत में हाज़िर रहूँ पर तुम मय और ताबिस्तानी मेवे, और तेल जमा' करके अपने बर्तनों में रख्खो, और अपने शहरो में जिन पर तुम ने क़ब्ज़ा किया है बसो। 11 और इसी तरह जब उन सब यहूदियों ने जो मोआब और बनी 'अम्मोन और अदोम' और तमाम मुमालिक में थे, सुना कि शाह — ए — बाबुल ने यहूदाह के चन्द लोगों को रहने दिया है, और जिदलियाह — बिन — अख़ीक़ाम — बिन — साफ़न को उन पर हाकिम मुक़र्रर किया है; 12 तो सब यहूदी हर जगह से, जहाँ वह तितर — बितर किए गए थे, लौटे और यहूदाह के मुल्क में मिस्फ़ाह में जिदलियाह के पास आए, और मय और ताबिस्तानी मेवे कसरत से जमा' किए। 13 और यूहनान — बिन — क़रीह और लश्करों के सब सरदार जो मैदानों में थे, मिस्फ़ाह में जिदलियाह के पास आए 14 और उससे कहने लगे, क्या तू जानता है कि बनी 'अम्मोन के बादशाह बा'लीस ने इस्माईल — बिन — नतनियाह को इसलिए भेजा है कि तुझे क़त्ल करे? लेकिन जिदलियाह — बिन — अख़ीक़ाम ने उनका यक़ीन न किया। 15 और यूहनान — बिन — क़रीह ने मिस्फ़ाह में जिदलियाह से तन्हाई में कहा, इजाज़त हो तो मैं इस्माईल — बिन — नतनियाह को क़त्ल करूँ, और इसको कोई न जानेगा; वह क्यूँ तुझे क़त्ल करे, और सब यहूदी जो तेरे पास जमा' हुए हैं, तितर — बितर किए जाएँ, और यहूदाह के बाक़ी मान्दा लोग हलाक हों? 16 लेकिन जिदलियाह — बिन — अख़ीक़ाम ने यूहनान — बिन — क़रीह से कहा, तू ऐसा काम हरगिज़ न करना, क्यूँकि तू इस्माईल के बारे में झूट कहता है।
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