1 अब ऊ सेवा को बारे म जो पवित्र लोगों लायी करी जावय हय, मोख तुम ख लिखनो जरूरी नहाय। 2 कहालीकि मय तुम्हरो मन की तैयारी ख जानु हय, जेको वजह मय तुम्हरो बारे म मकिदुनिया वासियों को आगु घमण्ड दिखाऊं हय कि अखया को लोग एक साल सी तैयार भयो हंय, अऊर तुम्हरो उत्साह न अऊर बहुत सो ख भी उभारयो हय। 3 पर मय न भाऊवों ख येकोलायी भेज्यो हय कि हम न जो घमण्ड तुम्हरो बारे म दिखायो, ऊ या बात म निष्फल नहीं ठहरेंन; पर जसो मय न कह्यो वसोच तुम तैयार रहो, 4 असो नहीं होय कि यदि कोयी मकिदुनिया निवासी मोरो संग आयेंन अऊर तुम्ख तैयार नहीं पाये, त होय सकय हय कि यो आत्मविश्वास को वजह हम यो नहीं कहजे कि हम अऊर तुम शर्मिन्दा हो। 5 येकोलायी मय न भाऊवों सी या बिनती करनो जरूरी समझ्यो कि हि पहिलो सी तुम्हरो जवर जाये, अऊर तुम्हरी उदारता को फर जेको बारे म पहिले सी वचन दियो गयो होतो, तैयार कर रखेंन कि यो दबाव सी नहीं पर उदारता को फर को जसो तैयार हो।
6 पर बात या आय: जो थोड़ो बोवय हय, ऊ थोड़ो काटेंन भी; अऊर जो बहुत बोवय हय, ऊ बहुत काटेंन। 7 हर एक लोग जसो ओन मन म सोच्यो हय वसोच दान करे; नहीं कुड़कुड़ाय क अऊर दबाव सी, कहालीकि परमेश्वर मन की खुशी सी देन वालो सी प्रेम रखय हय। 8 परमेश्वर सब तरह को अनुग्रह तुम्ख बहुतायत सी दे सकय हय जेकोसी हर बात म अऊर हर समय, सब कुछ, जो तुम्ख जरूरी हय, तुम्हरो जवर रहेंन; अऊर हर एक अच्छो काम लायी तुम्हरो जवर बहुत कुछ हो। 9 जसो शास्त्र म लिख्यो हय,