1 इसके बाद मैंने स्वर्ग में मानो बड़ी भीड़[a] को ऊँचे शब्द से यह कहते सुना,
3 फिर दूसरी बार उन्होंने कहा,
4 और चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने गिरकर परमेश्वर को दण्डवत् किया; जो सिंहासन पर बैठा था, और कहा, “आमीन! हालेलूय्याह!” 5 और सिंहासन में से एक शब्द निकला,
6 फिर मैंने बड़ी भीड़ के जैसा और बहुत जल के जैसा शब्द, और गर्जनों के जैसा बड़ा शब्द सुना
9 तब स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के विवाह के भोज में बुलाए गए हैं।” फिर उसने मुझसे कहा, “ये वचन परमेश्वर के सत्य वचन हैं।” 10 तब मैं उसको दण्डवत् करने के लिये उसके पाँवों पर गिरा[c]। उसने मुझसे कहा, “ऐसा मत कर, मैं तेरा और तेरे भाइयों का संगी दास हूँ, जो यीशु की गवाही देने पर स्थिर हैं। परमेश्वर ही को दण्डवत् कर।” क्योंकि यीशु की गवाही भविष्यद्वाणी की आत्मा है।
11 फिर मैंने स्वर्ग को खुला हुआ देखा, और देखता हूँ कि एक श्वेत घोड़ा है; और उस पर एक सवार है, जो विश्वासयोग्य, और सत्य कहलाता है; और वह धार्मिकता के साथ न्याय और लड़ाई करता है। (भज. 96:13) 12 उसकी आँखें आग की ज्वाला हैं, और उसके सिर पर बहुत से राजमुकुट हैं। और उसका एक नाम उस पर लिखा हुआ है, जिसे उसको छोड़ और कोई नहीं जानता। (प्रका. 19:16) 13 वह लहू में डुबोया हुआ वस्त्र पहने है, और उसका नाम ‘परमेश्वर का वचन’ है। 14 और स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़ों पर सवार और श्वेत और शुद्ध मलमल पहने हुए उसके पीछे-पीछे है। 15 जाति-जाति को मारने के लिये उसके मुँह से एक चोखी तलवार निकलती है, और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुण्ड में दाख रौंदेगा। (प्रका. 2:27) 16 और उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है: “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु।” (1 तीमु. 6:15)
17 फिर मैंने एक स्वर्गदूत को सूर्य पर खड़े हुए देखा, और उसने बड़े शब्द से पुकारकर आकाश के बीच में से उड़नेवाले सब पक्षियों से कहा, “आओ, परमेश्वर के बड़े भोज के लिये इकट्ठे हो जाओ, (यहे. 39:19,20) 18 जिससे तुम राजाओं का माँस, और सरदारों का माँस, और शक्तिमान पुरुषों का माँस, और घोड़ों का और उनके सवारों का माँस, और क्या स्वतंत्र क्या दास, क्या छोटे क्या बड़े, सब लोगों का माँस खाओ।”
19 फिर मैंने उस पशु और पृथ्वी के राजाओं और उनकी सेनाओं को उस घोड़े के सवार, और उसकी सेना से लड़ने के लिये इकट्ठे देखा। 20 और वह पशु और उसके साथ वह झूठा भविष्यद्वक्ता पकड़ा गया[d], जिसने उसके सामने ऐसे चिन्ह दिखाए थे, जिनके द्वारा उसने उनको भरमाया, जिन पर उस पशु की छाप थी, और जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे। ये दोनों जीते जी उस आग की झील में, जो गन्धक से जलती है, डाले गए। (प्रका. 20:20) 21 और शेष लोग उस घोड़े के सवार की तलवार से, जो उसके मुँह से निकलती थी, मार डाले गए; और सब पक्षी उनके माँस से तृप्त हो गए।
<- प्रकाशितवाक्य 18प्रकाशितवाक्य 20 ->-
a 19:1 बड़ी भीड़: सिंहासन के सामने आराधकों की आवाज।
b 19:7 मेम्ने का विवाह: कलीसिया और परमेश्वर का सम्बंध, प्रायः विवाह के रूपक द्वारा दर्शाया जाता है। इसका अर्थ है कि कलीसिया को अब विजयी और मगन होना है जैसे की वह अपने महिमामय सिर एवं प्रभु के साथ हमेशा के लिए एक हो गई हैं।
c 19:10 उसके पाँवों पर गिरा: यूहन्ना उस स्वर्गिक दूत की महिमा और उस सत्य से जिसका प्रका. उसने किया था, अभिभूत हो गया था और अपनी उमड़ती हुई भावना के कारण वह उसके पाँवों पर गिर पड़ा।
d 19:20 वह पशु और उसके साथ वह झूठा भविष्यद्वक्ता पकड़ा गया: अर्थात्, वह आग की झील में फेकने के लिए जीवित पकड़ा गया था।