तेरी बाँह के प्रताप से वे पत्थर के समान अबोल होंगे,
जब तक, हे यहोवा, तेरी प्रजा के लोग निकल न जाएँ,
जब तक तेरी प्रजा के लोग जिनको तूने मोल लिया है पार न निकल जाएँ।
17 तू उन्हें पहुँचाकर अपने निज भागवाले पहाड़ पर बसाएगा,
यह वही स्थान है,
हे यहोवा जिसे तूने अपने निवास के लिये बनाया,
और वही पवित्रस्थान है जिसे,
हे प्रभु, तूने आप ही स्थिर किया है।
18 यहोवा सदा सर्वदा राज्य करता रहेगा।”
19 यह गीत गाने का कारण यह है, कि फ़िरौन के घोड़े रथों और सवारों समेत समुद्र के बीच में चले गए, और यहोवा उनके ऊपर समुद्र का जल लौटा ले आया; परन्तु इस्राएली समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर होकर चले गए।
मिर्याम का विजयी गीत
20 तब हारून की बहन मिर्याम नाम नबिया[c] ने हाथ में डफ लिया; और सब स्त्रियाँ डफ लिए नाचती हुई उसके पीछे हो लीं। 21 और मिर्याम उनके साथ यह टेक गाती गई कि:
“यहोवा का गीत गाओ, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है;
घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में डाल दिया है।”
कड़वे पानी को मीठा बनाना
22 तब मूसा इस्राएलियों को लाल समुद्र से आगे ले गया, और वे शूर नामक जंगल में आए; और जंगल में जाते हुए तीन दिन तक पानी का सोता न मिला। 23 फिर मारा नामक एक स्थान पर पहुँचे, वहाँ का पानी खारा था, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्थान का नाम मारा पड़ा। 24 तब वे यह कहकर मूसा के विरुद्ध बड़बड़ाने लगे, “हम क्या पीएँ?” 25 तब मूसा ने यहोवा की दुहाई दी, और यहोवा ने उसे एक पौधा बता दिया, जिसे जब उसने पानी में डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वहीं यहोवा ने उनके लिये एक विधि और नियम बनाया, और वहीं उसने यह कहकर उनकी परीक्षा की, 26 “यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी आज्ञाओं पर कान लगाए और उसकी सब विधियों को माने, तो जितने रोग मैंने मिस्रियों पर भेजे हैं उनमें से एक भी तुझ पर न भेजूँगा; क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करनेवाला यहोवा हूँ।”
27 तब वे एलीम[d] को आए, जहाँ पानी के बारह सोते और सत्तर खजूर के पेड़ थे; और वहाँ उन्होंने जल के पास डेरे खड़े किए।
a15:2 यहोवा मेरा बल और भजन का विषय है: यहाँ मूसा द्वारा चुना नाम लोगों का ध्यान उस नाम अर्थात् मैं हूँ की ओर आकर्षित करता है जिसके द्वारा प्रतिज्ञाएँ की गई थीं। b15:15 मोआब के पहलवान: मोआबियों के अगुए बड़े डील-डौल और शारीरिक शक्ति वाले थे।c15:20 मिर्याम नाम नबिया: मरियम और हारून ने ईश्वरीय प्रकाशन को प्राप्त किया था। इस शब्द का प्रयोग यहाँ पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित शब्दों को बोलने के अभिप्राय से किया गया है।d15:27 एलीम: घरंदेल की घाटी, जो हुवारा से दक्षिण की ओर दो घंटे की यात्रा पर है।