1 इसलिए सब प्रकार का बैर-भाव, छल, कपट, डाह और बदनामी को दूर करके, 2 नये जन्मे हुए बच्चों के समान निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो[a], ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ, 3 क्योंकि तुम ने प्रभु की भलाई का स्वाद चख लिया है। (भज. 34:8)
4 उसके पास आकर, जिसे मनुष्यों ने तो निकम्मा ठहराया, परन्तु परमेश्वर के निकट चुना हुआ, और बहुमूल्य जीविता पत्थर है। 5 तुम भी आप जीविते पत्थरों के समान आत्मिक घर बनते जाते हो, जिससे याजकों का पवित्र समाज बनकर, ऐसे आत्मिक बलिदान चढ़ाओ, जो यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर को ग्रहणयोग्य हो। 6 इस कारण पवित्रशास्त्र में भी लिखा है,
11 हे प्रियों मैं तुम से विनती करता हूँ कि तुम अपने आपको परदेशी और यात्री जानकर उन सांसारिक अभिलाषाओं से जो आत्मा से युद्ध करती हैं, बचे रहो। (गला. 5:24, 1 पत. 4:2) 12 अन्यजातियों में तुम्हारा चाल-चलन भला हो; इसलिए कि जिन-जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जानकर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर उन्हीं के कारण कृपादृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें। (मत्ती 5:16, तीतु. 2:7-8)
13 प्रभु के लिये मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्ध के अधीन रहो, राजा के इसलिए कि वह सब पर प्रधान है, 14 और राज्यपालों के, क्योंकि वे कुकर्मियों को दण्ड देने और सुकर्मियों की प्रशंसा के लिये उसके भेजे हुए हैं। 15 क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम भले काम करने से निर्बुद्धि लोगों की अज्ञानता की बातों को बन्द कर दो। 16 अपने आपको स्वतंत्र जानो[b] पर अपनी इस स्वतंत्रता को बुराई के लिये आड़ न बनाओ, परन्तु अपने आपको परमेश्वर के दास समझकर चलो। 17 सब का आदर करो, भाइयों से प्रेम रखो, परमेश्वर से डरो, राजा का सम्मान करो। (नीति. 24:21, रोम. 12:10)
18 हे सेवकों, हर प्रकार के भय के साथ अपने स्वामियों के अधीन रहो, न केवल भलों और नम्रों के, पर कुटिलों के भी। 19 क्योंकि यदि कोई परमेश्वर का विचार करके अन्याय से दुःख उठाता हुआ क्लेश सहता है, तो यह सुहावना है। 20 क्योंकि यदि तुम ने अपराध करके घूँसे खाए और धीरज धरा, तो उसमें क्या बड़ाई की बात है? पर यदि भला काम करके दुःख उठाते हो और धीरज धरते हो, तो यह परमेश्वर को भाता है। 21 और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुःख उठाकर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है कि तुम भी उसके पद-चिन्ह पर चलो।
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a 2:2 निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो: वचन का निर्मल दूध, जो बिना झूठ और चापलूसी के हैं।
b 2:16 अपने आपको स्वतंत्र जानो: अर्थात्, वे अपने आपको स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में समझते थे, जैसे स्वतंत्रता का अधिकार हो।
c 2:24 हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए: प्रभु यीशु से इस तरह से व्यवहार किया गया जैसे कि वह एक पापी था, ताकि हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जाए जैसे कि हमने पाप नहीं किया हो जैसे कि हम धर्मी है।