1 तब परमेश्वर का सन्दूक ले आकर उस तम्बू में रखा गया जो दाऊद ने उसके लिये खड़ा कराया था; और परमेश्वर के सामने होमबलि और मेलबलि चढ़ाए गए। 2 जब दाऊद होमबलि और मेलबलि चढ़ा चुका, तब उसने यहोवा के नाम से प्रजा को आशीर्वाद दिया। 3 और उसने क्या पुरुष, क्या स्त्री, सब इस्राएलियों को एक-एक रोटी और एक-एक टुकड़ा माँस और किशमिश की एक-एक टिकिया बँटवा दी।
4 तब उसने कई लेवियों को इसलिए ठहरा दिया, कि यहोवा के सन्दूक के सामने सेवा टहल किया करें, और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की चर्चा और उसका धन्यवाद और स्तुति किया करें। 5 उनका मुखिया तो आसाप था, और उसके नीचे जकर्याह था, फिर यीएल, शमीरामोत, यहीएल, मत्तित्याह, एलीआब, बनायाह, ओबेदेदोम और यीएल थे; ये तो सारंगियाँ और वीणाएँ लिये हुए थे, और आसाप झाँझ पर राग बजाता था। 6 बनायाह और यहजीएल नामक याजक परमेश्वर की वाचा के सन्दूक के सामने नित्य तुरहियां बजाने के लिए नियुक्त किए गए।
दाऊद के द्वारा धन्यवाद गीत
7 तब उसी दिन दाऊद ने यहोवा का धन्यवाद करने का काम आसाप और उसके भाइयों को सौंप दिया।
यह वही वचन है जो उसने हजार पीढ़ियों के लिये ठहरा दिया।
16 वह वाचा उसने अब्राहम के साथ बाँधी
और उसी के विषय उसने इसहाक से शपथ खाई,
17 और उसी को उसने याकूब के लिये विधि
करके और इस्राएल के लिये सदा की वाचा बाँधकर यह कहकर दृढ़ किया,
18 “मैं कनान देश तुझी को दूँगा,
वह बाँट में तुम्हारा निज भाग होगा।”
19 उस समय तो तुम गिनती में थोड़े थे,
बल्कि बहुत ही थोड़े और उस देश में परदेशी थे।
20 और वे एक जाति से दूसरी जाति में,
और एक राज्य से दूसरे में फिरते तो रहे,
21 परन्तु उसने किसी मनुष्य को उन पर अंधेर करने न दिया;
और वह राजाओं को उनके निमित्त यह धमकी देता था,
22 “मेरे अभिषिक्तों को मत छुओ,
और न मेरे नबियों की हानि करो।”
23 हे समस्त पृथ्वी के लोगों यहोवा का गीत गाओ।
प्रतिदिन उसके किए हुए उद्धार का शुभ समाचार सुनाते रहो।
24 अन्यजातियों में उसकी महिमा का,
और देश-देश के लोगों में उसके आश्चर्यकर्मों का वर्णन करो।
25 क्योंकि यहोवा महान और स्तुति के अति योग्य है,
वह तो सब देवताओं से अधिक भययोग्य है।
26 क्योंकि देश-देश के सब देवता मूर्तियाँ ही हैं;
परन्तु यहोवा ही ने स्वर्ग को बनाया है।
27 उसके चारों ओर वैभव और ऐश्वर्य है;
उसके स्थान में सामर्थ्य और आनन्द है।
28 हे देश-देश के कुलों, यहोवा का गुणानुवाद करो,
यहोवा की महिमा और सामर्थ्य को मानो।
29 यहोवा के नाम की महिमा ऐसी मानो जो उसके नाम के योग्य है।
भेंट लेकर उसके सम्मुख आओ,
पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत् करो।
30 हे सारी पृथ्वी के लोगों उसके सामने थरथराओ!
जगत ऐसा स्थिर है, कि वह टलने का नहीं।
31 आकाश आनन्द करे और पृथ्वी मगन हो,
और जाति-जाति में लोग कहें, “यहोवा राजा हुआ है।”
32 समुद्र और उसमें की सब वस्तुएँ गरज उठें,
मैदान और जो कुछ उसमें है सो प्रफुल्लित हों।
33 उसी समय वन के वृक्ष यहोवा के सामने जयजयकार करें,
क्योंकि वह पृथ्वी का न्याय करने को आनेवाला है।
34 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है;
उसकी करुणा सदा की है।
35 और यह कहो, “हे हमारे उद्धार करनेवाले परमेश्वर हमारा उद्धार कर,
और हमको इकट्ठा करके अन्यजातियों से छुड़ा,
कि हम तेरे पवित्र नाम का धन्यवाद करें,
और तेरी स्तुति करते हुए तेरे विषय बड़ाई करें। (भज. 106:47)
36 अनादिकाल से अनन्तकाल तक इस्राएल का
परमेश्वर यहोवा धन्य है।”
तब सब प्रजा ने “आमीन” कहा: और यहोवा की स्तुति की। (भज. 106:48) 37 तब उसने वहाँ अर्थात् यहोवा की वाचा के सन्दूक के सामने आसाप और उसके भाइयों को छोड़ दिया, कि प्रतिदिन के प्रयोजन के अनुसार वे सन्दूक के सामने नित्य सेवा टहल किया करें, 38 और अड़सठ भाइयों समेत ओबेदेदोम को, और द्वारपालों के लिये यदूतून के पुत्र ओबेदेदोम और होसा को छोड़ दिया। 39 फिर उसने सादोक याजक और उसके भाई याजकों को यहोवा के निवास के सामने, जो गिबोन के ऊँचे स्थान में था, ठहरा दिया, 40 कि वे नित्य सवेरे और साँझ को होमबलि की वेदी पर[b] यहोवा को होमबलि चढ़ाया करें, और उन सब के अनुसार किया करें, जो यहोवा की व्यवस्था में लिखा है, जिसे उसने इस्राएल को दिया था। 41 और उनके संग उसने हेमान और यदूतून और दूसरों को भी जो नाम लेकर चुने गए थे ठहरा दिया, कि यहोवा की सदा की करुणा के कारण उसका धन्यवाद करें। 42 और उनके संग उसने हेमान और यदूतून को बजानेवालों के लिये तुरहियां और झाँझें और परमेश्वर के गीत गाने के लिये बाजे दिए, और यदूतून के बेटों को फाटक की रखवाली करने को ठहरा दिया।
43 तब प्रजा के सब लोग अपने-अपने घर चले गए, और दाऊद अपने घराने को आशीर्वाद देने लौट गया।
a16:8 यहोवा का धन्यवाद करो: इतिहासकार ने हमारे समक्ष जो भजन रखा है वह आराधना विधि स्वरूप आसाप और उसके भाइयों द्वारा उस समय गाया गया था जब वाचा का सन्दूक यरूशलेम में प्रवेश कर रहा था। b16:40 होमबलि की वेदी पर: होमबलि की वेदी (निर्ग.27:1-8) गिबोन में मिलापवाले तम्बू ही में थी (2इति.1:3, 2इति. 1:5) हो सकता है कि दाऊद ने यरूशलेम में बलि चढ़ाने के लिये एक नई वेदी बनाई।